स्तन कैंसर का खतरा कम करें एस्परिन
दर्द से छुटकारा पाने के लिए बरसों से कारगर दवा समझी जाने वाली एस्परिन और आइबूप्रोफ्रेन को नियमित लेने पर स्तन कैंसर होने का खतरा कम से कम 20 फीसदी घटाया जा सकता है।
ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि नियमित एस्परिन लेने वाली महिलाओं को स्तन कैंसर का खतरा 20 फीसदी कम हो जाता है। एस्परिन का इस्तेमाल उन महिलाओं के इलाज में भी किया जा सकता है जो स्तन कैंसर से पीडि़त हैं। ज्ञूवेंज एंड सेंट थामस एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रमुख अनुसंधानकर्ता प्रो. इयान फेंटीमेन ने बताया कि एस्परिन न केवल कैंसर का खतरा घटाती है, बल्कि यह स्तन कैंसर से पीडि़त महिलाओं के हार्मोन संबंधी इलाज में भी मदद करती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इसी तरह की नानस्टीरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स [एनएसएआईडीएस] तथा आइबूप्रोफेन जैसी दवाएं भी स्तन कैंसर से बचाव में मददगार हो सकती हैं। यह निष्कर्ष अध्ययनकर्ताओं ने पिछले 27 साल में 21 अध्ययनों का विश्लेषण करने के बाद निकाला है। अध्ययन में 37,000 महिलाओं को शामिल किया गया।
अध्ययन के नतीजे इंटरनेशनल जर्नल आफ क्लीनिकल प्रैक्टिस के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में हालांकि कहा गया है कि जिन महिलाओं में अनुवांशिक स्तन कैंसर संबंधी जीन होता है उन्हें एस्परिन से सुरक्षा मिलने की संभावना नहीं होती। ऐसी महिलाओं की संख्या प्रति 20 में एक होती है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी नहीं बताया है कि एनएसएआईडीएस की कितनी मात्रा ली जानी चाहिए और कब तक ली जानी चाहिए। उन्होंने लेकिन चेतावनी दी है कि महिलाओं को इन दवाओं के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों की जानकारी मिलते तक अतिरिक्त सुरक्षात्मक उपाय के तौर पर एनएसएआईडीएस नहीं लेना चाहिए।
डेली टेलीग्राफ में प्रो. फेंटीमेन के हवाले से कहा गया है, इन दवाओं के नकारात्मक प्रभावों का पता लगाने के लिए और अनुसंधान करने की जरूरत है। इन नकारात्मक प्रभावों में आंतरिक रक्तस्राव और बड़ी आंत में अल्सर आदि शामिल हैं। कैंसर रिसर्च चैरिटी संस्थाओं ने इस अनुसंधान का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने इन दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी भी दी है। jagran
ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि नियमित एस्परिन लेने वाली महिलाओं को स्तन कैंसर का खतरा 20 फीसदी कम हो जाता है। एस्परिन का इस्तेमाल उन महिलाओं के इलाज में भी किया जा सकता है जो स्तन कैंसर से पीडि़त हैं। ज्ञूवेंज एंड सेंट थामस एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रमुख अनुसंधानकर्ता प्रो. इयान फेंटीमेन ने बताया कि एस्परिन न केवल कैंसर का खतरा घटाती है, बल्कि यह स्तन कैंसर से पीडि़त महिलाओं के हार्मोन संबंधी इलाज में भी मदद करती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इसी तरह की नानस्टीरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स [एनएसएआईडीएस] तथा आइबूप्रोफेन जैसी दवाएं भी स्तन कैंसर से बचाव में मददगार हो सकती हैं। यह निष्कर्ष अध्ययनकर्ताओं ने पिछले 27 साल में 21 अध्ययनों का विश्लेषण करने के बाद निकाला है। अध्ययन में 37,000 महिलाओं को शामिल किया गया।
अध्ययन के नतीजे इंटरनेशनल जर्नल आफ क्लीनिकल प्रैक्टिस के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में हालांकि कहा गया है कि जिन महिलाओं में अनुवांशिक स्तन कैंसर संबंधी जीन होता है उन्हें एस्परिन से सुरक्षा मिलने की संभावना नहीं होती। ऐसी महिलाओं की संख्या प्रति 20 में एक होती है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी नहीं बताया है कि एनएसएआईडीएस की कितनी मात्रा ली जानी चाहिए और कब तक ली जानी चाहिए। उन्होंने लेकिन चेतावनी दी है कि महिलाओं को इन दवाओं के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों की जानकारी मिलते तक अतिरिक्त सुरक्षात्मक उपाय के तौर पर एनएसएआईडीएस नहीं लेना चाहिए।
डेली टेलीग्राफ में प्रो. फेंटीमेन के हवाले से कहा गया है, इन दवाओं के नकारात्मक प्रभावों का पता लगाने के लिए और अनुसंधान करने की जरूरत है। इन नकारात्मक प्रभावों में आंतरिक रक्तस्राव और बड़ी आंत में अल्सर आदि शामिल हैं। कैंसर रिसर्च चैरिटी संस्थाओं ने इस अनुसंधान का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने इन दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी भी दी है। jagran
You are reading the article instinct blogs - SEO Friendly entitled 


