ये किसने दुआ की थी बारिशों की!
ये किसने दुआ की थी बारिशों की!: "भट्ठी से तप रहा शहर दोपहर को अचानक मीठी सी ठंडी लहर से झूमने लगा था।ऐसा लगा कि भगवान ने आसमान मे अपना एसी चालू कर दिया है।तभी दोपहर की चमकदार धूप पता नही क्यों शर्मा कर देहात की नई-नवेली दुल्हन की तरह अपने आप मे सिकुड़ने लगी और जनरल बोगी मे चिरौरी कर सीट के कोने मे बैठे बादल ने पसरना शुरू किया।थोड़ी ही देर मे आसमान पर उसका कब्जा था और मैं टाटा के शोरूम मे बैठा गाड़ी की ज़ल्दी डिलेवरी की दुआ करने लगा।मुझे आई(मां) के हाथ के बने प्याज के गर्मागर्म पकौड़े की याद सताने...