जा चार दिन और जी ले यमदूतों ने कहा
दम घुटने लगा और आंख के सामने अंधेरा छा गया। छत पर चार काले-काले यमदूत आए और उसका हाथ पकड़ कर ले जाने लगे। तभी कहीं से आवाज आई इसे छोड़ दो, इसके अभी चार दिन बाकी हैं। और यमदूत यह कहते हुए चले गए कि-जा चार दिन और जी ले। यह कहना है पुरानी मोहनपुरी निवासी एक वृद्ध का जिसकी सौ बसंत देखने के बाद मौत हुई, लेकिन वह फिर जिंदा हो गया।
सांस की तकलीफ के चलते यहां के मकान नंबर 129 निवासी रामस्वरूप [100] को पांच दिन पूर्व परिजनों ने हीरालाल नर्सिग होम में भर्ती कराया। रामस्वरूप के पुत्र चमन लाल ने बताया कि मंगलवार को उनके पिता की सांस थम गई। नर्सिग होम के स्टाफ ने भी हाथ खड़े कर दिए और इलाज कर रहे डाक्टर को जानकारी दे दी। नर्सिग होम में रामस्वरूप के परिजनों व रिश्तेदारों ने विलाप शुरू कर दिया। कुछ देर बाद एकाएक ही रामस्वरूप के शरीर में हरकत आ गई। रामस्वरूप के पुत्र चमन लाल के मुताबिक होश में आने के पश्चात उनके पिता ने उक्त बातें बताई।
रामस्वरूप ने परिजनों के समक्ष दावा किया कि उसकी जिंदगी के बस अब चार दिन और बाकी हैं, लिहाजा उन्हें घर लें जाएं। रामस्वरूप के कहने पर परिजन उन्हें घर ले आए। रामस्वरूप के कहे मुताबिक परिजन शनिवार तक की जिंदगी और शेष मान उनकी सेवा में लगे हैं।
रामस्वरूप भले ही मरने के बाद दोबारा जिंदा होने का दावा कर रहे हों लेकिन डाक्टर की राय इससे जुदा है। इलाज कर रहे डाक्टर वीएन त्यागी ने बताया कि जिस समय उन्हें भर्ती कराया गया, वह निमोनिया से पीडि़त थे और सांस लेने में उन्हें तकलीफ थी। मंगलवार को उनके परिजनों ने हालत बिगड़ने की सूचना दी, पर जब वह अस्पताल पहुंचे तो रामस्वरूप ठीक थे।
परिजनों ने उन्हें भी रामस्वरूप के सारे किस्से बताए पर उन्होंने परिजनों को इस पर विश्वास न कर इलाज जारी रखने की सलाह दी। परिजनों के आग्रह पर उन्होंने रामस्वरूप को डिस्चार्ज कर दिया है। उनके मुताबिक कई बार दिमाग में आक्सीजन की कमी के कारण मरीज को इस प्रकार के दिमागी भ्रम हो जाते हैं।
परालौकिक अनुभव के किस्से गाहे बगाहे सुनने में आते रहते हैं। अक्सर गंभीर रूप से बीमार लोग अस्पताल में मर कर दोबारा जिंदा होने की बात करते हैं। बाकायदा अनुसंधानकर्ताओं ने इसको नियर डेथ एक्सपीरियन्स नाम दिया है। विख्यात साइक्रेटिस्ट डा. रेमंड ए. मूडी ने इस पर प्रकार की घटनाओं पर अध्ययन किया है। उनकी एक किताब लाइफ आफ्टर लाइफ भी इस प्रकार की घटनाओं के संबंध में आ चुकी है। पूरे विश्व में लोगों को इस प्रकार के अनुभव होते रहे हैं। jagran
सांस की तकलीफ के चलते यहां के मकान नंबर 129 निवासी रामस्वरूप [100] को पांच दिन पूर्व परिजनों ने हीरालाल नर्सिग होम में भर्ती कराया। रामस्वरूप के पुत्र चमन लाल ने बताया कि मंगलवार को उनके पिता की सांस थम गई। नर्सिग होम के स्टाफ ने भी हाथ खड़े कर दिए और इलाज कर रहे डाक्टर को जानकारी दे दी। नर्सिग होम में रामस्वरूप के परिजनों व रिश्तेदारों ने विलाप शुरू कर दिया। कुछ देर बाद एकाएक ही रामस्वरूप के शरीर में हरकत आ गई। रामस्वरूप के पुत्र चमन लाल के मुताबिक होश में आने के पश्चात उनके पिता ने उक्त बातें बताई।
रामस्वरूप ने परिजनों के समक्ष दावा किया कि उसकी जिंदगी के बस अब चार दिन और बाकी हैं, लिहाजा उन्हें घर लें जाएं। रामस्वरूप के कहने पर परिजन उन्हें घर ले आए। रामस्वरूप के कहे मुताबिक परिजन शनिवार तक की जिंदगी और शेष मान उनकी सेवा में लगे हैं।
रामस्वरूप भले ही मरने के बाद दोबारा जिंदा होने का दावा कर रहे हों लेकिन डाक्टर की राय इससे जुदा है। इलाज कर रहे डाक्टर वीएन त्यागी ने बताया कि जिस समय उन्हें भर्ती कराया गया, वह निमोनिया से पीडि़त थे और सांस लेने में उन्हें तकलीफ थी। मंगलवार को उनके परिजनों ने हालत बिगड़ने की सूचना दी, पर जब वह अस्पताल पहुंचे तो रामस्वरूप ठीक थे।
परिजनों ने उन्हें भी रामस्वरूप के सारे किस्से बताए पर उन्होंने परिजनों को इस पर विश्वास न कर इलाज जारी रखने की सलाह दी। परिजनों के आग्रह पर उन्होंने रामस्वरूप को डिस्चार्ज कर दिया है। उनके मुताबिक कई बार दिमाग में आक्सीजन की कमी के कारण मरीज को इस प्रकार के दिमागी भ्रम हो जाते हैं।
परालौकिक अनुभव के किस्से गाहे बगाहे सुनने में आते रहते हैं। अक्सर गंभीर रूप से बीमार लोग अस्पताल में मर कर दोबारा जिंदा होने की बात करते हैं। बाकायदा अनुसंधानकर्ताओं ने इसको नियर डेथ एक्सपीरियन्स नाम दिया है। विख्यात साइक्रेटिस्ट डा. रेमंड ए. मूडी ने इस पर प्रकार की घटनाओं पर अध्ययन किया है। उनकी एक किताब लाइफ आफ्टर लाइफ भी इस प्रकार की घटनाओं के संबंध में आ चुकी है। पूरे विश्व में लोगों को इस प्रकार के अनुभव होते रहे हैं। jagran