अवसाद से गर्भपात का कोई संबंध नहीं
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने नए शोध में दावा किया है कि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि गर्भपात के बाद महिलाओं को मानसिक अवसाद होता ही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस विषय पर आज तक कोई स्तरीय अध्ययन नहीं किया गया है। शोध के मुताबिक इस बात को साबित करने के प्रयास ज्यादातर राजनीति से प्रेरित रहे हैं।
बाल्टीमोर स्थित जोंस हापकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर पहले हो चुके 21 अध्ययनों की समीक्षा की। इन अध्ययनों में डेढ़ लाख से ज्यादा महिलाओं को शामिल किया गया था। उच्च स्तरीय इन अध्ययनों से साबित होता है कि सामान्य महिलाओं की तुलना में उन महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा जिन्होंने गर्भपात कराया था। प्रमुख शोधकर्ता डा। राबर्ट ब्लूम के मुताबिक सबसे अच्छे शोध इस बात का समर्थन नहीं करते कि गर्भपात के बाद डिप्रेशन के लक्षण उभर आते हैं। कम से कम उस तरह जैसे घाव के बाद तनाव संबंधी विकार पैदा हो जाता है। शोध टीम में शामिल विग्नेट्टा चार्ल्स ने बताया कि अभी तक मिले साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भावात्मक नुकसान को गर्भपात नीति बनाने के दौरान मुद्दा नहीं बनाया जा सकता। यूस सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ अमेरिका में हर साल 12 लाख 29 हजार महिलाएं गर्भपात कराती हैं। दुनिया भर में यह संख्या लगभग 2।5 करोड़ है।
शोध में कहा गया है कि गर्भपात एक संवेदनशील
राजनीतिक मुद्दा है जिस पर प्राय: सभी देशों में कानून के आधार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जाती है। जिसे सही नहीं कहा जा सकता। jagran
बाल्टीमोर स्थित जोंस हापकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर पहले हो चुके 21 अध्ययनों की समीक्षा की। इन अध्ययनों में डेढ़ लाख से ज्यादा महिलाओं को शामिल किया गया था। उच्च स्तरीय इन अध्ययनों से साबित होता है कि सामान्य महिलाओं की तुलना में उन महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा जिन्होंने गर्भपात कराया था। प्रमुख शोधकर्ता डा। राबर्ट ब्लूम के मुताबिक सबसे अच्छे शोध इस बात का समर्थन नहीं करते कि गर्भपात के बाद डिप्रेशन के लक्षण उभर आते हैं। कम से कम उस तरह जैसे घाव के बाद तनाव संबंधी विकार पैदा हो जाता है। शोध टीम में शामिल विग्नेट्टा चार्ल्स ने बताया कि अभी तक मिले साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भावात्मक नुकसान को गर्भपात नीति बनाने के दौरान मुद्दा नहीं बनाया जा सकता। यूस सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ अमेरिका में हर साल 12 लाख 29 हजार महिलाएं गर्भपात कराती हैं। दुनिया भर में यह संख्या लगभग 2।5 करोड़ है।
शोध में कहा गया है कि गर्भपात एक संवेदनशील
राजनीतिक मुद्दा है जिस पर प्राय: सभी देशों में कानून के आधार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जाती है। जिसे सही नहीं कहा जा सकता। jagran