उस जानिब से जब उतरोगे तुम !!
उस जानिब से जब उतरोगे तुम !!: "वो कौन सा लम्हा है जो तब्दील करता है आदमी को एक दूसरे आदमी में !वो कौन सी शै है जो धो देती है पिछले दागो को ...जाने क्या ऊँडेलती है
भीतर के बाहर सब कुछ छना-छना सा निकलता है ... .त"आरुफ़ कराती है नए
मानो से जो कहते है पिछला जो जिया ....सब" रफ -वर्क" था .
.क्या लोहे के बने थे सुकरात - या बुद्द ...या बायस होकर कोई जुदा रूह धकेली थी खुदा ने कबीर में ...! दुःख क्या अलार्म क्लोक"
भीतर के बाहर सब कुछ छना-छना सा निकलता है ... .त"आरुफ़ कराती है नए
मानो से जो कहते है पिछला जो जिया ....सब" रफ -वर्क" था .
.क्या लोहे के बने थे सुकरात - या बुद्द ...या बायस होकर कोई जुदा रूह धकेली थी खुदा ने कबीर में ...! दुःख क्या अलार्म क्लोक"